दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि 'छात्र सीखने में नहीं, बल्कि शिक्षक सिखाने में फेल हो गए हैं।' हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव शकधर ने यह टिप्पणी की है। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के उस नियम पर भी रोक लगा दी है जिसमें कक्षा 9वीं से 12वीं के बीच दो साल फेल होने पर छात्र को स्कूल द्वारा दोबारा दाखिला नहीं देने का प्रावधान है।
क्या है मामला?
कोर्ट में बीते शुक्रवार दो बच्चों के पिता द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई हो रही थी। बच्चे को उसके स्कूल ने 9वीं कक्षा में फेल होने के कारण दोबारा दाखिला देने से मना कर दिया था। दिल्ली सरकार के इस स्कूल का कहना था कि वह छात्र दो बार फेल हो चुका है। साथ ही दलील दी कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी नियम के अनुसार, जो छात्र 9वीं से 12वीं कक्षा के बीच लगातार दो साल पास होने में असफल होता है, उसे पुनः दाखिला (Readmission) नहीं दिया जा सकता।ये भी पढ़ें : 28 साल पहले आजाद हुए इस देश में प्रति व्यक्ति आय है 6.39 लाख रुपये, 15 साल तक मिलती है मुफ्त शिक्षा
छात्र के पिता कबाड़ इकट्ठा करने का काम करते हैं। उन्होंने अपने वकील अशोक अग्रवाल के जरिए दिल्ली सरकार शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में अप्रैल 2014 और अगस्त 2018 में जारी सर्कुलर को भी चुनौती दी है।
छात्र की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली सरकार का ये सर्कुलर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21ए में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस सर्कुलर के आधार पर सरकारी स्कूलों ने सैकड़ों विद्यार्थियों को दाखिला देने से मना कर दिया है, जो गैरकानूनी है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर गहराई से विचार करने की जरूरत है। अब इस पर 16 दिसंबर 2019 को सुनवाई होगी। तब तक के लिए दिल्ली सरकार के उस सर्कुलर पर रोक लगी रहेगी।
Source-Amar Ujala
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