बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट एजुकेशन, राजपुताना के तौर पर 1929 में गठित होने से लेकर विश्व के सबसे बड़े स्कूल शिक्षा बोर्ड में से एक बनने के केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के 90 साल के सफर को एक कॉफी टेबल किताब में बयां किया गया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक शुक्रवार को इस पुस्तक का विमोचन करेंगे जिसमें 100 साल पूरे कर चुके स्कूलों का भी जिक्र है। बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, बोर्ड के मौजूदा अस्तित्व तक पहुंचने के दौरान बीते वर्षों में हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों के पीछे प्रगति की कई कहानियां हैं।
उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट एजुकेशन जहां 1921 में गठित पहला बोर्ड था, वहीं 1929 में सभी क्षेत्रों के लिए एक संयुक्त बोर्ड गठित किया गया जिसका नाम बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट एजुकेशन, राजपुताना रखा गया।
सीबीएसई को इसका मौजूदा नाम 1952 में मिला था। बोर्ड को 1962 में पुनर्गठित किया गया था जब इसके अधिकार क्षेत्र को विस्तार दिया गया था। सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कॉफी टेबल पुस्तक जिसमें करीब 100 तस्वीरें हैं, बोर्ड के अस्तित्व के नौ दशकों और अंतत: विश्व के सबसे बड़े बोर्ड बनने के सफर को बयां करती है। 23 अन्य देशों के अलावा भारत में बोर्ड से 20,000 से ज्यादा स्कूल संबद्ध हैं। प्रगति का यह काफी लंबा सफर रहा है।”
इस किताब का विमोचन सहोदय परिसरों के 25वें राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन में किया जाएगा जिसमें दुनिया भर के सीबीएसई स्कूलों के 1,200 प्रधानाचार्य शामिल होंगे
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