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घर रहे सुरक्षित रहे पर कविता कुछ दिन तो गुजारों चार दीवार में – लव रुद्र प्रताप सिंह



घर में रहे, सुरक्षित रहे।


“कुछ दिन तो गुजारों चार दीवार में”। “अपनापन ” बिकता नहीं जनाब ! किसी माल या बाज़ार में, कुछ दिन तो गुजारों चार दीवार में!!” कहते थे- “वक्त नहीं हैं सांस लेने को” आज मिला हैं वक्त तुम्हें , खुद को वक्त देने को, सुकून बसता नहीं केवल , शनिवार या इतवार में, कुछ दिन तो गुजारो चार दिवार में!! एडजस्टर , पंखे, कूलर की कर लो थोड़ा सफ़ाई , पानी की टंकी में ….. लग गई है काई , आ गई थोड़ा गड़बड़ी …… मिव्सर के जार में……. , कुछ दिन तो गुजारो चार दीवार में!!


नाम- लव रुद्र प्रताप सिंह कक्षा- 12 केंद्रीय विद्यालय IIT खरगपुर वेस्ट बंगाल


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